Business : वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस बेहद जरूरी है। रिटायरमेंट के बाद स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च बढ़ता जाता है। बाजार में जनता के लिए कई हेल्थ इंश्योरेंस प्लान उपलब्ध हैं। लेकिन जब बात रिटायरमेंट की आती है, तो ज्यादा लाभ के लिए आपको उस वक्त के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस रिटायरमेंट के बाद भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कामकाजी जीवन के दौरान । आइए जानते हैं इसके बारे में।
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प्रीमियम के भुगतान से जुड़ी जानकारी जरूरी
मालूम हो कि अनेक बीमा कंपनियां अधिकतम पॉलिसी टर्म पर एकमुश्त प्रीमियम भरने पर छूट देती करती हैं। इसलिए आप फैमिली डिस्कांउट और कंपनी द्वारा निर्धारित अवधि में टेस्ट रिपोर्ट्स को जमा करने पर डिस्काउंट का लाभ ले सकते हैं। रिटायरमेंट के बाद पॉलिसी टर्म के प्रीमियम के भुगतान के लिए आपको दिक्कत आ सकती है।
मौजूदा बीमारी के वेटिंग पीरियड का रखें ध्यान
पॉलिसी खरीदने से पहले ही उसका मूल्यांकन करें। हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले ही जान लें कि कंपनी मौजूद बीमारी को कवर करेगी या नहीं। कुछ बीमा कंपनियां पहले से मौजूद बीमारी को कवर करती हैं और कुछ नहीं। ऐसे में आपको सावधानी बरतने की जरूरत है। वेटिंग पीरियड 24 महीने से 48 महीने तक का हो सकता है। इसलिए वही योजना चुनें जो कम वेटिंग पीरियड में आपकी मौजूदा बीमारी कवर करती हैं।
गंभीर बीमारी की कवर सूची को ध्यान से पढ़ें :
कुछ बीमारियों के मामले में क्लेम की राशि पॉलिसी में तय सम अश्योर्ड राशि से परे अपेक्षाकृत कम होती है। क्लेम के खारिज होने से बचने के लिए दस्तावेजों और गंभीर बीमारी की कवर सूची को ध्यान से पढ़ें।
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अस्पताल में कमरे और ICU की सीमाएं
इसलिए इंश्योरेंस लेने से पहले इस बात पर ध्यान देना जरूरी है। केवल उन्हीं इंश्योरेंस पॉलिसी को चुनें जो आपके अस्पताल में भर्ती होने पर आपके पूरे इलाज (कमरे का किराया और नर्सिंग के खर्चों सहित) को कवर करती हैं। कई ऐसी कंपनियां हैं जो अस्पताल में कमरे और आईसीयू के लिए भुगतान को सीमित रखती हैं। उन सीमाओं के बाद का भुगतान पॉलिसीधारक को ही करना होता है।
को-पेमेंट क्लॉज भी जरूरी
वरिष्ठ नागरिकों के लिए बाजार में उपलब्ध लगभग सभी योजनाएं को-पेमेंट की शर्त के साथ आती हैं। पॉलिसीधारक बीमित सेवाओं के लिए पहले से तय राशि का अपनी जेब से भुगतान करता है। अतिरिक्त प्रीमियम देकर इस को-पेमेंट को माफ करने का विकल्प भी चुन सकते हैं। इसे को-पेमेंट क्लॉज कहा जाता है। इसलिए आप वहीं योजना चुनें जो आपको पहले से मौजूद और अन्य क्लेम पर कम फीसदी भुगतान करने का ऑफर देती हो।
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